Home समाचार राष्ट्रीय आपातकाल के 44 साल पूरे होने पर राजनीति तेज, ममता ने पिछले 5 साल को करार दिया ‘सुपर इमरजेंसी’

आपातकाल के 44 साल पूरे होने पर राजनीति तेज, ममता ने पिछले 5 साल को करार दिया ‘सुपर इमरजेंसी’

ममता ने अपने ट्वीट में कहा कि हमें लोकतांत्रिक संस्‍थाओं की रक्षा के लिए लड़ाई लड़नी चाहिए.

नई दिल्‍ली: भारत में 25 जून, 1977 को लगाए गए आपातकाल को आज 44 साल पूरे हो गए. तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून की रात को ही आकाशवाणी के जरिए आपातकाल का ऐलान किया था. देश में आपातकाल 21 मार्च, 1977 तक रहा था. इसके बाद हुए आम चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार को करारी हार का सामना करना पड़ा था.

आपातकाल के 44 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन लोगों को सलाम किया जिन्‍होंने इमरजेंसी का विरोध किया. उन्‍होंने उस समय की दुर्लभ फुटेज पर अपनी कमेंट्री देकर इमरजेंसी के बारे में बताया है. मोदी ने 90 सेकेंड के एक वीडियो के साथ एक ट्वीट में कहा, “भारत उन सभी महान लोगों को सलाम करता है जिन्होंने निडर होकर बेबाकी से आपातकाल का विरोध किया. भारत की लोकतांत्रिक नीति ने सत्तावादी मानसिकता को सफलतापूर्वक पराजित कर दिया.”

वीडियो में समाचार पत्रों से न्यायिक तंत्र तक के आपातकाल के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बताते हुए इसे ऐसा ‘काला अध्याय’ बताया गया है जिसने लोकतंत्र को रोंद डाला था. वीडियो में प्रधानमंत्री ने कहा, “आपातकाल के दौरान, कई शीर्ष नेताओं को जेल में डाल दिया गया. गोपनीय सूचनाएं देने पर जेल से निकाला जाता था.”

गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट में कहा कि “1975 में आज ही के दिन मात्र अपने राजनीतिक हितों के लिए देश के लोकतंत्र की हत्या की गयी. देशवासियों से उनके मूलभूत अधिकार छीन लिए गए, अखबारों पर ताले लगा दिए गए. लाखों राष्ट्रभक्तों ने लोकतंत्र को पुनर्स्थापित करने के लिए अनेकों यातनाएं सहीं. मैं उन सभी सेनानियों को नमन करता हूं.”

1975 में आज ही के दिन मात्र अपने राजनीतिक हितों के लिए देश के लोकतंत्र की हत्या की गयी। देशवासियों से उनके मूलभूत अधिकार छीन लिए गए, अखबारों पर ताले लगा दिए गए। लाखों राष्ट्रभक्तों ने लोकतंत्र को पुनर्स्थापित करने के लिए अनेकों यातनाएं सहीं। पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने मोदी सरकार के पिछले 5 साल को ‘सुपर इमरजेंसी’ करार दिया है. उन्‍होंने कहा कि “हमें अपने इतिहास से सबक सीखने चाहिए और देश में लोकतांत्रिक संस्‍थाओं की रक्षा के लिए लड़ाई लड़नी चाहिए.”