Home समाचार कानपुर की उल्टे-पुल्टे अंगों वाली डेडबॉडी पर दुनिया में छिड़ी बहस

कानपुर की उल्टे-पुल्टे अंगों वाली डेडबॉडी पर दुनिया में छिड़ी बहस

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उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक बुजुर्ग मरने के बाद पूरी दुनिया में बहस का विषय बन गया है। साइटस इन्वर्सस टोटलिस नामक बीमारी से पीड़ित इस शख्स की मौत भले ही नेचुरल हुई हो पर अब उस पर रिसर्च शुरू हो गया है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में शोध करने वाले उस वक्त हैरत में पड़ गए, जब बुजुर्ग का कोई भी अंग अपने स्थान पर नहीं मिला। मसलन, बाएं वाले अंग दाएं और दाहिने वाले बाएं थे। डॉक्टरों के मुताबिक ऐसी बीमारी विश्व में 10 हजार लोगों में से एक को ही होती है। मेडिकल कॉलेज को दान किया गया शव एनॉटामी विभाग में सुरक्षित रखा गया है।

रिसर्च करने वाले डॉक्टरों के मुताबिक 65 वर्षीय वृद्ध का मामला किसी अचंभे से कम नहीं है। आमतौर पर शरीर के एक-दो अंग इधर उधर होने के मामले तो हजारों लोगों में से एक में मिल जाते हैं पर पूरे अंग उल्टे-पुल्टे होना दुनिया में बहुत कम रिपोर्ट किया गया है। जो मिले भी हैं उनकी मौत दिल, ब्रेन, किडनी या किसी अन्य बीमारी से हुई है, मगर इस शख्स को जीवनभर हार्ट, गुर्दे या दूसरे अंगों से जुड़ी कोई बीमारी ही नहीं हुई। इन्हीं सब तथ्यों को देखते हुए रिसर्च किया जा रहा है कि आखिर एनॉटामी में खास क्या है। शोध में अब तक जो रिजल्ट मिले हैं उसे इटली के प्रमुख जर्नल ‘इटेलियन जरनल ऑफ एनॉटामी एंड एम्ब्रियोलॉजी’ में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है। 

इलाज की तकनीक विकसित कर रहे
एनॉटामी विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि रिसर्च के सहारे उस तकनीक को विकसित किया जा रहा है जिसमें अगर ऐसे मरीजों को किसी तरह सर्जरी की जरूरत पड़े तो उसे आसानी से अंजाम दिया जा सके। यानी अगर दिल के ऑपरेशन की जरूरत है तो सर्जरी की तकनीक क्या होगी? पेट, गाल ब्लेडर का ऑपरेशन या स्पाइन की सर्जरी करनी है, तो क्या सावधानियां बरती जाएं। पीड़ित व्यक्ति की रेडियोलॉजिकल जांच यानी एक्सरे, सीटी स्कैन और एमआरआई कैसे होनी चाहिए।

जीन में बदलाव से हो सकती बीमारी
शोधकर्ता डॉक्टरों के मुताबिक साइटस इन्वर्सस टोटलिस वह आनुवांशिक स्थिति है जिसमें छाती और पेट के अंग सामान्य जगहों से अलग होते हैं। जैसे दिल बाएं की जगह दाएं और बायां फेफड़ा शरीर के दायीं ओर होता है। लिवर दाएं के बजाय बाएं होता है। पीड़ित व्यक्ति की पीढ़ियों में किसी के जीन में परिर्वतन होने से ऐसी स्थिति आ सकती है। साइटस इनवर्सस बीमारी क्रोमोसोम में ऑटोसोमल रिसेसिव जेनेटिक परिवर्तन के कारण होती है। एक बार किसी के भी जीन में आने से यह बीमारी परिवार में प्रवेश कर सकती है।

दुर्लभ बीमारी से हार्ट प्रॉब्लम के लक्षण
– मरीज को लगातार थकावट रहना
– वजन का नहीं बढ़ना
– बार-बार क्रोनिक संक्रमण होना
– साइनस और फेफड़ों में दिक्कत से सांस लेने मे तकलीफ
– पीलिया या पीली त्वचा का हो जाना
– ब्लू-टिंटेड त्वचा, उंगलियों के आसपास नीलापन। 


जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में एनॉटामी विभाग विभागाध्यक्ष प्रो. सुनिति पाण्डेय ने बताया कि साइटस इन्वर्सस टोटलिस वाला कैडवर मिला था जिस पर रिसर्च किया गया है। इटली के प्रमुख जर्नल में प्रकाशित होने के बाद देश-विदेश के डॉक्टर चर्चा कर रहे हैं। अहम बात यह है कि पीड़ित व्यक्ति की डेथ नेचुरल हुई। अधिकतर शोध पूरे हो चुके हैं। रिसर्च को सराहना मिल रही है। शव को सुरक्षित रखा है।