हाल ही के ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने खूब नाम कमाया। इसी के साथ करियर विकल्प के तौर पर खेल जगत एक बार फिर चमका। इस दुनिया से बतौर खिलाड़ी ही नहीं, कई तरह से जुड़ सकते हैं।
ओलंपिक खेलों में इस बार भारतीय खिलाड़ियों ने गर्व के कई क्षण भारत को दिए। हालांकि खेल की दुनिया केवल खिलाड़ियों तक ही सीमित नहीं है। जब बात खेलों की आती है, तो क्या आपको पता है कि खेल जगत करियर के विविध अवसर उपलब्ध कराता है। वर्ष 2014 से स्पोट्र्स सेक्टर की सालाना चक्रवृद्धि बढ़ोतरी दर 4.3 फीसदी है। साल 2018 में यह 488.5 खरब डॉलर का वैश्विक बाजार था। उम्मीद की जा रही है कि 2022 तक यह क्षेत्र 5.9 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि बढ़ोतरी दर से आगे बढ़ेगा। लिहाजा, इसमें बहुत सभावनाएं हैं।
हालांकि स्पोट्र्स के क्षेत्र में बतौर खिलाड़ी अपना करियर बनाना उतना आसान नहीं होता, जितना बाहर से देखने में लगता है। इसके लिए आपको मन में यह ठान लेना होगा कि कुछ भी हो जाए, आप प्रैक्टिस और प्रदर्शन पर आंच नहीं आने देंगे, तभी आप एक खिलाड़ी के तौर पर आगे बढ़ने की सोचें। आप किसी संगठन या कंपनी (सेल, गेल, इंडियन ऑयल जैसे पब्लिक सेक्टर) द्वारा समर्थित खेलों के खिलाड़ी बन सकते हैं, या फिर आप ट्रेनर, स्पोट्र्स जर्नलिस्ट, कमेंटेटर, स्पोट्र्स इवेंट मैनेजर या एडवेंचर स्पोट्र्स ऑर्गेनाइजर की राह चुन सकते हैं। प्रोफेशनल खिलाड़ियों का चयन उन लोगों में से होता है, जो अलग-अलग स्तर पर आयोजित टूर्नामेंट में रिकॉर्ड प्रदर्शन करते हैं। उसके बाद संस्थान, जिला, प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर पर चयन आयोजित होते हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक भी स्पोट्र्स शख्सीयतों की नियुक्तियां करते हैं। सरकारी स्तर पर ग्रुप सी व डी पदों पर उल्लेखनीय प्रदर्शन वाले ऐसे खिलाड़ियों की, जो आवश्यक शैक्षिक योग्यता भी रखते हैं, सीधी भर्ती होती है।ऐसे में इस क्षेत्र में युवा बतौर खिलाड़ी
अपने करियर को संवारने की तो सोच ही सकते हैं, यहां के अन्य मौकों का भी लाभ उठा सकते हैं।
आइए देखते हैं कि खेल की दुनिया में क्या अलहदा अवसर बन रहे हैं, जिनके जरिये आप खेलों की दुनिया का हिस्सा भी हो सकते हैं और एक अच्छा भविष्य भी बना सकते हैं:
स्पोर्ट्स लॉयर/अटॉर्नी फॉर स्पोट्र्स
ये पेशेवर राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने क्लाइंट का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी कार्य जिम्मेदारियों में एंप्लॉयमेंट के कॉन्ट्रैक्ट को समझना और बनाना, खिलाड़ी के कार्य के कानूनी पक्षों को ध्यान में लाना, हर्जाने या समझौते पर काम करना, स्कॉलरशिप डील का प्रबंध करना आदि आते हैं। इसके लिए आपके पास कानून की डिग्री होनी चाहिए।
– कानून की जानकारी और शिक्षा जरूर लें।
– क्लाइंट के बारे में पूरी जानकारी रखें।
मार्केटिंग और प्रोमोशन के लिए को-ऑर्डिनेटर
आपके काम का एक बड़ा हिस्सा होगा बाजार को समझना, रिपोर्टें तैयार करना और उसके अनुसार मार्केटिंग की योजना तैयार करना। मार्केटिंग में बैचलर डिग्री या समकक्ष डिग्री के साथ इसके लिए डिजिटल और ऑनग्राउंड मार्केटिंग में निपुण होना जरूरी है।
– मार्केटिंग एनालिसिस का हुनर चाहिए।
– रिसर्च स्किल खास काम आएंगे।
– मार्केट प्लानिंग और उत्पाद को लेकर विशेषज्ञता आपको आगे जाने में मदद करेगी।
स्पोर्ट्स मैनेजमेंट एवं सम्बंधित क्षेत्रों के कुछ प्रमुख संस्थान
– नेताजी सुभाष नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोट्र्स, पटियाला
– इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोट्र्स साइंसेज, नई दिल्ली
– लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन, ग्वालियर एंड तिरुवनंतपुरम
– तमिलनाडु फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोट्र्स यूनिवर्सिटी, चेन्नई
– स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया
– सिम्बायोसिस स्कूल ऑफ स्पोट्र्स साइंसेज
– के जी सोमैया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (एमबीए इन स्पोट्र्स मैनेजमेंट)
– नेशनल एकेडमी ऑफ स्पोट्र्स मैनेजमेंट, अहमदाबाद, दिल्ली, जयपुर, मुम्बई
– हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट, दार्जीलिंग
– वेस्टर्न हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एलाएड स्पोट्र्स, मनाली
– सेंट्रल काउंसिल ऑफ रिसर्च इन योगा एंड नैचुरोपैथी
– नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एरोबिक्स
– रीबॉक यूनिवर्सिटी, (एसीई अप्रूव्ड कोर्सेस)
– नाइक एरोबिक्स कोर्स
– अमेरिकन काउंसिल ऑफ एक्सरसाइज
फिजिकल एजुकेशन के जरिये भी खुलेंगी राहें
फिजिकल एजुकेशन के रास्ते से आपको खेल से जुड़े हेल्थ क्लब, स्पोट्र्स गुड निर्माता, मार्केटिंग, स्पोट्र्स जर्नलिज्म, ट्रेनर के तौर पर कई तरह के करियर विकल्प मिलेंगे। हालांकि शुरुआत में ट्रेनर या प्रशिक्षक के रूप में नौकरी मिलने की अधिक संभावना होगी, लेकिन वर्षों के अपने अनुभव के साथ ही आप अपनी शिक्षा और अनुभव को जर्नलिज्म, मार्केटिंग या कमेंटेटर के करियर में बदलने में सक्षम भी हो सकते हैं।
इस क्षेत्र में फिजिकल एजुकेशन के स्नातक
और स्नातकोत्तर स्तर के कोर्स व कॉलेज उपलब्ध हैं। फिजिकल एजुकेशन के ग्रेजुएट स्तर के कोर्स में प्रवेश के लिए न्यूनतम योग्यता 10+2 या समकक्ष उत्तीर्ण होना है। वहीं मास्टर्स स्तर के एम.पी.एड. पाठ्यक्रम में प्रवेश लेना चाहते हैं, तो न्यूनतम योग्यता के तौर पर फिजिकल एजुकेशन में ग्रेजुएशन डिग्री होनी चाहिए।
स्पोर्ट्स जर्नलिज्म के लिए कुछ प्रमुख संस्थान
– इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन, दिल्ली
– बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
– जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली
– साउथ कैंपस, दिल्ली यूनिवर्सिटी
– माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता यूनिवर्सिटी
– देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
– सेंट जेवियर्स, मुम्बई
– सिम्बायोसिस, पुणे
– एशियन स्कूल ऑफ जर्नलिज्म, चेन्नई
आप मीडिया इंस्टीट्यूट से कोर्स भी कर सकते हैं, जैसे एनडीटीवी मीडिया इंस्टीट्यूट, इंडिया टुडे मीडिया इंस्टीट्यूट, एक्सप्रेस इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया स्टडीज, टाइम्स स्कूल ऑफ जर्नलिज्म, मनोरमा स्कूल ऑफ जर्नलिज्म, केरल
कुछ विदेशी विश्वविद्यालय भी खास स्पोट्र्स जर्नलिज्म में कोर्स उपलब्ध कराते हैं, जैसे इंडियाना यूनिवर्सिटी, पर्डु यूनिवर्सिटी, पेन्सिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी, ऑस्टिन की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास आदि।
स्पोर्ट्स फोटोग्राफर
एक स्पोर्ट्स फोटोग्राफर खेलों के आयोजन, टीम या किसी एथलीट के प्रदर्शन के दौरान के या बाद के क्षणों को कैमरे में कैद करता है। आप इस फील्ड में फ्रीलांसर के रूप में भी काम कर सकते हैं और किसी टीम के साथ भी काम पा सकते हैं। इस तरह आप अपनी फोटो को विभिन्न प्रकाशनों या समाचारपत्रों को उपलब्ध करा सकते हैं। फोटोग्राफी एक ‘ऑनफील्ड’ करियर है। इसके लिए आपमें खासकर कुछ गुण होने चाहिए: ’
– फोटोग्राफी के लिए प्रशिक्षण के साथ जुनून जरूरी है।
– तुरंत निर्णय और महत्त्वपूर्ण पल को भांपकर उसे कैमरे में कैद करने की मानसिक और शारीरिक तेजी आपमें होनी चाहिए।
– खेलों के प्रति रुझान होना आधारभूत जरूरत है।
स्पोर्ट्स जर्नलिज्म
क्या ‘बोरिआ मजूमदार’ नाम से आपको कुछ याद आता है? दरअसल क्रिकेट की दुनिया से खेल के दौरान की और खेल के बाहर की कहानियों को हम तक पहुंचाने के लिए उनका नाम कुछेक प्रभावी स्पोट्र्स जर्नलिस्टों में गिना जाता है। अगर आपको स्पोर्ट्स प्रतियोगिताओं के लिए लिखना या कमेंटरी करना पसंद है, तो निश्चित रूप से खेल जगत का यह फील्ड आपके लिए ही बना है। इसके लिए आपमें कुछ खास स्किल भी होने चाहिए: ’
– इंटरव्यू करने में खास हुनरमंद हों।
– लेखन क्षमता पैनी हो।
– खेलों की अच्छी जानकारी रखनी होगी।
– इस बारे में सम्बंधित डिग्री और अपना भी शोध और विश्लेषण क्षमता हो।