Home अवर्गीकृत डाटा मिटाने पर भी नहीं बच पाएंगे साइबर अपराधी, दिल्ली पुलिस ने खरीदे 3 खास सॉफ्टवेयर

डाटा मिटाने पर भी नहीं बच पाएंगे साइबर अपराधी, दिल्ली पुलिस ने खरीदे 3 खास सॉफ्टवेयर

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ऑनलाइन अपराध कर पुलिस को चकमा देने के लिए साक्ष्य नष्ट करने वाले साइबर अपराधियों की अब खैर नहीं। दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने अब नष्ट किए गए ऑनलाइन साक्ष्यों का पता लगाने का भी रास्ता ढूंढ़ निकाला है। इसके लिए पुलिस ने तीन नए सॉफ्टवेयर खरीदे हैं। इसके इस्तेमाल से डिलीट डाटा तो हासिल होगा ही, क्षतिग्रस्त सिमकार्ड, मेमोरी चिप, मोबाइल से भी डाटा हासिल हो सकेगा। इन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने वाली दिल्ली पुलिस संभवत: देश की पहली एजेंसी होगी। 

725 शिकायतें वर्ष 2018 में सोशल नेटवर्किंग साइट से जुड़ी मिलीं
4320 ऑनलाइन फर्जीवाड़े से संबंधित शिकायतें 2018 में मिलीं
03 सॉफ्टवेयर की खरीदारी की है दिल्ली पुलिस ने

ऑनलाइन घटना ट्रैक
दिल्ली पुलिस इन तीनों सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से ऑनलाइन छेड़छाड़ को भी ट्रैक कर सकेगी। अगर अपराधी ने साक्ष्यों को अपने सिस्टम में पासवर्ड के जरिये लॉक किया है तो उसे तोड़ा भी जा सकता है। अभी कुछ यूरोपीय देशों की एजेंसियां इन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रही हैं। अब दिल्ली पुलिस भी इनका इस्तेमाल करेगी। 

किससे क्या फायदे
1. क्लाउड फॉरेंसिक सिस्टम
इसके जरिये पुलिस साइबर अपराधियों के सर्विस प्रोवाइडर, आईपी ऐड्रेस, मेटा डाटा और लॉग मॉनिटरिंग कर सकेगी। मेटा डाटा में इस्तेमाल किए गए इनसाइड डेटा जैसे  यूजर आईडी, उपकरण (मोबाइल, लैपटॉप, पीसी) की डिटेल भी मिल जाएगी।

2. मोबाइल फॉरेंसिक सिस्टम
इसके जरिये साइबर सेल खासतौर से मोबाइल से डिलीट किए डाटा, डैमेज सिमकार्ड, चिप से डाटा फिर हासिल कर लेगी। लॉक को भी खोलने में सक्षम होगी। दरअसल इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल से किसी भी तरह के लॉक को तोड़ने में मदद मिलेगी।

3. नेटवर्क फॉरेंसिक सिस्टम 
इसे मॉनिटरिंग एंड एनालिसिस ऑफ कम्प्यूटर ट्रैफिक फॉर इनफॉरमेशन सिस्टम भी कहा जाता है। इससे पता चल जाएगा कि कहां से सबसे ज्यादा ट्रैफिक जनरेट हो रहा है। इसकी खासियत है कि इसके जरिए साइबर सेल डाटा चुराने वाले पर नजर रख सकेगी।