Home नवीनतम समाचार बीएचयू: छात्राओं का धरना प्रदर्शन जारी, प्रशासन ने हॉस्टल पर लगाया ताला

बीएचयू: छात्राओं का धरना प्रदर्शन जारी, प्रशासन ने हॉस्टल पर लगाया ताला

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में शनिवार को शुरु हुआ छात्र-छात्राओं का धरना प्रदर्शन जारी है.

बीएचयू के छात्र-छात्राएं यौन उत्पीड़न के एक कथित मामले में एक प्रोफ़ेसर के ख़िलाफ़ कार्रवाई न होने के विरोध में विश्वविद्यालय के लंका गेट पर धरना दे रहे हैं.

इस बीच प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए विज्ञान की छात्राओं के हॉस्टल में ताला लगा दिया है.

किसी भी छात्रा को बाहर आने की इजाज़त नहीं दी जा रही है. विश्वविद्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक़ किसी को बहुत ज़रुरी होने पर इस लिखित शर्त के साथ बाहर आने दिया जा रहा है कि “वो विरोध प्रदर्शन में भाग नहीं लेंगी और प्रदर्शन स्थल जे आस-पास रुकेंगी नहीं, अपना निर्दिष्ट काम खत्म करके सीधे हॉस्टल वापस आ जाएंगी.”

छात्राओं ने बीएचयू में जंतुविज्ञान के प्रोफे़सर के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.

छात्राओं की मांग है कि प्रोफे़सर को विश्वविद्यालय से निकाला जाए. इस मांग को लेकर ही शनिवार शाम 7 बजे से प्रदर्शन शुरू हुआ.

इस बीच बीएचयू के पीआरओ राजेश सिंह ने बीबीसी को बताया कि कार्यकारिणी परिषद प्रोफ़ेसर के ख़िलाफ पहले ही कार्रवाई कर चुकी है.

उन्होंने बताया, “प्रोफ़ेसर शैल कुमार चौबे पर जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सात जून 2019 को हुई कार्यकारिणी परिषद की बैठक में मेजर पेनाल्टी लगाई गई है, उन्हें दोषी ठहराया गया है.”

“भविष्य में विश्वविद्यालय में कोई महत्वपूर्ण प्रशासनिक दायित्व उन्हें नहीं दिया जाएगा और वे आगे से कभी छात्रों से जुड़ी गतिविधियों में भी शामिल नहीं हो सकेंगे. इसके अलावा कभी किसी अन्य संस्थान में वे आवेदन भी नहीं कर पाएंगे.”

ये मामला अक्टूबर 2018 का है. छात्राओं का आरोप है कि विश्वविद्यालय के जंतुविभाग से एक शैक्षणिक टूर गया था. इसमें छात्राएं भी शामिल थीं. उस टूर के दौरान छात्राओं ने प्रोफेसर पर छेड़खानी करने और अश्लील टिप्पणी करने का आरोप लगाया था.

2011-12 में बीएचयू की छात्र परिषद के महासचिव रह चुके छात्र नेता विकास सिंह ने बीबीसी से कहा, “तब करीब 36 छात्राओं ने प्रोफे़सर पर टूर के दौरान यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था. उन्होंने कुलपति को पत्र लिखकर शिकायत की थी.”

“तब ये मामला बीएचयू की 11 सदस्यीय आंतरिक शिकायत समिति के पास गया और प्रोफेसर को दोषी पाया गया. फिर मामला बीएचयू की एक्ज़िक्यूटिव काउंसिल के पास पहुंचा लेकिन वहां उन्हें सिर्फ़ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया. इस साल जून में काउंसिल ने प्रोफे़सर को बहाल करने का निर्णय लिया है.”

“शिकायत के समय निलंबित किए गए प्रोफे़सर को अब वापस बहाल कर लिया गया है. जब छात्राओं ने साफ़ तौर पर अपनी शिकायत दर्ज कराई है और आईसीसी में प्रोफेसर को दोषी पाया गया है तो उन्हें सिर्फ़ चेतावनी देना तो काफ़ी नहीं है. छात्राओं की मांग है कि प्रोफेसर को विश्वविद्यालय से निकाला जाना चाहिए.”

विकास सिंह का ये भी कहना है कि शिकायतकर्ता छात्राओं के जाने के बाद ये फैसला लिया गया है. वो छात्राएं उस वक़्त आखिरी वर्ष में थीं और अब तक वो पढ़ाई पूरी करके विश्वविद्यालय से जा चुकी हैं.

छात्राओं का क्या कहना है?

धरने पर बैठी एक छात्रा ने कहा, “आंतरिक शिकायत समिति ने उन पर आरोपों को सही पाया है लेकिन इसके बाद भी विश्वविद्यालय के एग्ज़ीक्यूटिव काउंसिल ने कहा है कि उन्हें प्रशासनिक अधिकारी या फिर कुलपति नहीं बनाया जाएगा, लेकिन वो अभी भी कक्षाएं ले रहे हैं.”

“ये शर्मनाक़ बात है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय में सीधे-सीधे ऐसे व्यक्ति को संरक्षण दिया जा रहा है.”

एक अन्य छात्रा गरिमा कहती हैं, “जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं हो जाती हम धरना नहीं बंद करेंगे.”

वो कहती हैं, “हम यहां पढ़ना चाहते हैं, ‘जस्ट टीच, नॉट टच’ (हमें पढ़या जाए, हमें ग़लत इरादे से छुआ न जाए.) ये सिर्फ हमारे बारे में नहीं है बल्कि सभी महिलाओं के बारे में है.”