Home अवर्गीकृत विवाह पंचमी: इसी दिन हुआ था भगवान राम और जनक नंदिनी सीता का स्वयंर

विवाह पंचमी: इसी दिन हुआ था भगवान राम और जनक नंदिनी सीता का स्वयंर

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मार्गशीर्ष (अगहन) मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को भगवान श्रीराम तथा जनकपुत्री जानकी (सीता) का विवाह हुआ था। तभी से इस पंचमी को ‘विवाह पंचमी पर्व’ के रूप में मनाया जाता है। विवाह पंचमी भगवान श्री राम और माता सीता की शादी की सालगिरह के रूप में मनाए जाने वाले एक लोकप्रिय हिंदू त्योहार है। हिंदू पंचांग के अनुसार, विवाह पंचमी मार्गशीर्ष के महीने के दौरान शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन मनाया जाता है। इस दिन सभी भक्त पूर्ण अनुग्रह, भक्ति और समर्पण के साथ इस अनुष्ठान का आनंद लेते हैं। इस बार विवाह पंचमी 1 दिसंबर 2019, रविवार को मनाई जा रही है।

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मान्यता है कि मनुष्य जाति को जीवन का पाठ सिखाने के लिए भगवान राम ने धरती पर जन्म लिया था। वहीं पत्नी की पूरी कर्तव्य का बखान माता सीता के जीवन से सीखा जा सकता है। विवाह पंचमी के दिन कई रूपों इसकी व्याख्या की जाती है। विवाह पंचमी का त्योहार खास तौर पर भारत के अयोध्या और नेपाल के जनकपुर में मनाया जाता है।पौराणिक धार्मिक ग्रथों के अनुसार इस तिथि को भगवान राम ने जनक नंदिनी सीता से विवाह किया था। इसका वर्णन श्रीरामचरितमानस में महाकवि गोस्वामी तुलसीदासजी ने बड़ी ही सुंदरता से किया है।

श्रीरामचरितमानस के अनुसार- राजा जनक ने सीता के विवाह हेतु स्वयंवर रचाया। सीता के स्वयंवर में आए सभी राजा-महाराजा जब भगवान शिव का धनुष नहीं उठा सके, तब ऋषि विश्वामित्र ने प्रभु श्रीराम को शिवजी का धनुष तोड़ो और जनक का संताप मिटाओ। भगवान श्रीराम ने गुरु विश्वामित्र की आज्ञा पालन किया। उन्होंने देखते ही देखते भगवान शिव का महान धनुष उठाया। इसके बाद उस पर प्रत्यंचा चढ़ाते ही एक भयंकर ध्वनि के साथ धनुष टूट गया।

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम-सीता के शुभ विवाह के कारण ही यह दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है। भारतीय संस्कृति में राम-सीता आदर्श दम्पत्ति माने गए हैं। जिस प्रकार प्रभु श्रीराम ने सदा मर्यादा पालन करके पुरुषोत्तम का पद पाया, उसी तरह माता सीता ने सारे संसार के समक्ष पतिव्रता स्त्री होने का सर्वोपरि उदाहरण प्रस्तुत किया। इस पावन दिन सभी को राम-सीता की आराधना करते हुए अपने सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए प्रभु से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।