Home नवीनतम समाचार सोनिया गांधी के इस वफादार सिपाही ने क्यों छोड़ी थी कांग्रेस?:अजीत जोगी

सोनिया गांधी के इस वफादार सिपाही ने क्यों छोड़ी थी कांग्रेस?:अजीत जोगी

रायपुर. राजनीति में शतरंज के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले अजीत जोगी (Ajit Jogi) 29 मई को जिंदगी से जंग हार गए. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के एक निजी अस्पताल में उन्होंने 74 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. अध्यापक से आईपीएस, आईएएस और फिर नेता बने अजीत जोगी के नाम छत्तीसगढ़ का पहला मुख्यमंत्री बनने का गौरव है. अपनी जिंदगी के आखिरी दौर में राजनीतिक तौर पर जोगी ने सबसे कठिन लड़ाई अपनी ही मूल पार्टी कांग्रेस के खिलाफ लड़ी. राजीव गांधी के बाद सोनिया गांधी, अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह समेत कांग्रेस के तमाम आला नेताओं के खास और वफादार माने जाने वाले अजीत जोगी ने साल 2016 में कांग्रेस से इस्तिफा दे दिया.

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 से करीब ढाई साल पहले 23 जून 2016 को अजीत जोगी ने राज्य में अपनी नई पार्टी खड़ी कर दी. कांग्रेस से अलग होकर नई राजनीति शुरू करने वाले अजीत जोगी ने अपनी पार्टी का नाम छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जे रखा. जानते हैं कि आखिर अपनी पार्टी के आला नेताओं के खास अजीत जोगी ने कांग्रेस क्यों छोड़ी?

कांग्रेस से क्यों छूटा मोह?

छत्तीसगढ़ कांग्रेस का मुखिया कोई भी रहा हो, लेकिन पार्टी में वर्चस्व अजीत जोगी का ही था. 2015 के बाद भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव की जोड़ी ने पार्टी में अपना वर्चस्व बढ़ाना शुरू कर दिया. इसी बीच कांग्रेस दो खेमों में बंट गया. एक खेमा कांग्रेस संगठन तो दूसरा जोगी कांग्रेस बना गया. लेकिन साल 2014 में हुए अंतागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार मंतूराम पंवार ने मैदान छोड़ दिया और इस विस्फोट की अवाज एक आॅडियो के रूप में करीब साल भर बाद आई. आरोप लगे कि मंतूराम को चुनाव से बाहर करने के लिए सौदेबाजी हुई. सौदेबाजी की एक कथित आॅडियो क्लिप वायरल होने के बाद 2016 में कांग्रेस पार्टी ने अजीत जोगी के बेटे व विधायक अमित जोगी को पार्टी से 6 सालों के लिये निष्काषित कर दिया. इतना ही नहीं मामले में अजीत जोगी को भी नोटिस थमा दिया गया.

मनमानी के आरोप

काफी मंथन के माद अजीत जोगी ने कांग्रेस छोड़ने का फैसला ले लिया. अपने इस निर्णय के बाद मीडिया से चर्चा में अजीत जोगी ने कहा था कि प्रदेश कांग्रेस के जिम्मेदार मनमानी कर रहे हैं. आला नेता भी सुन नहीं रहे. ऐसे में अब पार्टी के साथ आगे बने रहना संभव नहीं है. इसके बाद 23 जून को उन्होंने प्रदेश में अपनी नई पार्टी बना ली. हालांकि इससे पहले भी साल 2003 में भाजपा विधायकों की खरीद फरोख्त के आरोप में अजीत जोगी को पार्टी से निलं​बित कर दिया गया था. इसके बाद 2004 में लोकसभा चुनाव से पहले उनका निलंबन वापस हुआ और उन्हें टिकट भी दी गई.