Home अपराध 11 दिन हुए थे शादी को, दंगाई ने पहले नाम पूछा और सीने में दाग दी 5 गोली

11 दिन हुए थे शादी को, दंगाई ने पहले नाम पूछा और सीने में दाग दी 5 गोली

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देश की राजधानी दिल्ली में तीन दिन से जारी हिंसा भले ही थम गई हो, लेकिन अभी भी डर का माहौल बना हुआ है। पुलिस और सुरक्षाबल लगातार हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च निकाल रही है और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रही है।

इस बीच गुरुवार को दिल्ली हिंसा में मरने वालों का आंकड़ा बढ़ गया और अबतक ये संख्या 35 तक हो गई है। हालांकि अभी तक ये तय नहीं हो पाया है कि 35 बेकुसूर लोगों की मौत का असली जिम्‍मेदार कौन है। जिन घरों के चिराग इस हिंसा के दौरान बुझ गए उनके घरों में सन्नाटा पसरा हुआ है।

ऐसा ही कुछ नजारा मुस्‍तफाबाद हिंसा में मारे गए अशफाक के घर का है। अभी 11 दिनों पहले जहां खुशियां और हर्षोल्लास का माहौल था वहां अब बेटे के मौत के मातम का माहौल है। वहीं मौत की खबर सुनते ही अशफाक की पत्नी बेहोश हो गईं। उनके पिता बस एक ही बात कह रहे हैं कि शादी के 11 दिन भी पूरे नहीं हुए थे और दंगाइयों ने मेरे बेटे की जान ले ली। मां को मंगलवार देर रात बेटे की मौत की जानकारी मिली। तभी से मां बेसुध हैं। होश आता भी है तो केवल अशफाक का ही नाम लेती हैं।

दरअसल, मुस्तफाबाद में हिंसा के शिकार बने अशफाक की शादी को अभी 11 दिन भी नहीं हुए थे। उनके भाई ने बताया कि बृजपुरी पुलिया पर खून से लथपथ पड़े अशफाक को दोस्तों ने पहले जीटीबी अस्पताल ले जाने की कोशिश की, लेकिन हर तरफ हिंसा होने से वे अस्पताल तक नहीं पहुंच सके। उन्हें पास के अस्पताल में एडमिट कराया गया, जहां 2 घंटे बाद उनकी मौत हो गई।

अस्पताल के मॉर्चरी के बाहर खड़े अशफाक के बड़े भाई मुदस्सिर आंखों में आंसू लिए अपने रिश्तेदारों से गम साझा कर रहे थे। मुदस्सिर ने बताया कि इसी महीने 14 फरवरी को अशफाक की शादी हुई थी। घर में सब काफी खुश थे। अचानक गमों का पहाड़ टूट पड़ा। पत्नी और बुजुर्ग पैरंट्स की आंखों से आंसू नहीं थम रहे हैं।

मुदस्सिर ने बताया कि अशफाक (22) मंगलवार शाम को दोस्तों के साथ अपने ऑफिस से घर लौट रहे थे। बृजपुरी पुलिया पर पहुंचते ही हथियार लिए दंगाइयों ने अशफाक और उनके दोस्तों को पकड़ लिया। पहले उन लोगों से नाम पूछा। इस दौरान अशफाक के दोस्त भागने में कामयाब रहे, लेकिन वह हमलावरों के चंगुल में फंस गए। नाम बताते ही अशफाक के सीने पर ताबड़तोड़ 5 गोलियां चला दी गईं। फिर सीने पर धारदार हथियार से कई वार किए।

उनके दोस्त कुछ दूर ही थे लेकिन चाहकर भी वो अशफाक की जान नहीं बचा सके। हमलावरों के जाने के बाद दोस्तों ने अशफाक को जीटीबी अस्पताल ले जाना चाहा लेकिन रास्ता न मिलने से पास के ही एक अस्पताल में ले गए। वहां अशफाक की जान चली गई। परिवार का कहना है कि सीसीटीवी से दंगाइयों की पहचान कर सख्त एक्शन लेना चाहिए।