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सरकारी अस्पताल में मासूम बच्चों की मौत का सिलसिला जारी

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कोटा:राजस्थान के कोटा के जेके लोन सरकारी अस्पताल में मासूम बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। अब तक 106 मासूम दम तोड़ चुके हैं। कोटा के बाद बूंदी में भी यह संक्रमण फैल गया है। जहां 10 मासूम जिंदगी की जंग हार चुके हैं। इस बीच कोटा मामले में गठित जांच समिति ने दो दिन पहले अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

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— ANI Digital (@ani_digital) January 4, 2020

समिति का कहना है कि अस्पताल में लगभग हर तरह के उपकरण और व्यवस्था में बहुत सारी खामियां हैं। बच्चो की मौत का मुख्य कारण हाइपोथर्मिया बताया गया है। हालांकि सच्चाई यह है कि इससे बच्चों को बचाने के लिए आवश्यक अस्पताल का हर उपकरण खराब है।

कोटा के अस्पताल में बीचे 34 दिन में 106 बच्चे काल के गाल में समा चुके हैं। जेके लोन अस्पताल में लगातार दम तोड़ रहे मासूमों की सुध लेने के लिए आज राज्य के उपमुख्यमंत्री और पूर्व सांसद सचिन पायलट कोटा पहुंच रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि इस घटना से पता चलता है कि पिछले साल 900 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद भी गहलोत सरकार नहीं चेती। 

स्मृति ईरानी ने कहा अशोक गहलोत सरकार अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर रही। यह मामला स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़ा है और इस मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग इसकी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपेगा।

अस्पताल के 71 में से 44 वॉर्मर खराब

नवजात शिशुओं का तापमान 36.5 डिग्री तक होना चाहिए। इसके लिए नर्सरी में वॉर्मर के जरिए उनके तापमान को 28 से 32 डिग्री के बीच रखा जाता है। अस्पाल में मौजूद 71 में से 44 वॉर्मर खराब हैं। जिसके कारण नर्सरी में तापमान गिर गया और बच्चे हाइपोथर्मिया के शिकार हो गए।

मंत्री के दौरे से पहले और बाद में एक-एक बच्चे ने तोड़ दम

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा शुक्रवार को जिले के प्रभारी मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और विधायक दानिश अबरार के साथ अस्पताल पहुंचे। लेकिन मंत्री के दौरे से पहले और बाद में एक बच्चे ने दम तोड़ दिया।

वहीं मंत्री के स्वागत के लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा बिछाए गए ग्रीन कारपेट ने विवाद खड़ा कर दिया है। मंत्री की आवभगत में अस्पताल प्रशासन इतनी व्यस्त रहा है कि वह उस बच्ची को भी नहीं बचा सका जिससे मंत्री आईसीयू में मिले थे।

रोज औसतन 180 बच्चे हो रहे रेफर

राज्य के जिला अस्पतालों में सुविधाओं की कमी के कारण जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, बीकानेर, अजमेर मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में रोजाना औसतन 180 बच्चे रेफर हो कर पहुंच रहे हैं।

सरकारी अस्पताल प्रबंधन मशीनों के खराब होने की जानकारी पोर्टल पर नहीं देते। उन पर निजी लैब संचालकों से सांठगांठ का आरोप है। कई सरकारी अस्पतालों में सुपर स्पेशियलिटी डॉक्टर नहीं है।