Home नवीनतम समाचार दिल्ली सरकार की खुलेआम लूट – PDUSS ने दायर की याचिका,निर्माण कार्यों में मजदूरों के 3,200 करोड़ उपकर निधि की लूट।

दिल्ली सरकार की खुलेआम लूट – PDUSS ने दायर की याचिका,निर्माण कार्यों में मजदूरों के 3,200 करोड़ उपकर निधि की लूट।

डॉ विनोद शुक्ला पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दिल्ली सरकार के खिलाफ PDUSS की ओर से दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर की याचिका ।*

प्रवासी श्रमिकों के 3,200 करोड़ रुपये के फंड के गलत इस्तेमाल और सीबीआई जांच की मांग – को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच के द्वारा याचिका दायर की गई

3,200 करोड़ फंड के गलत इस्तेमाल का आरोपसीबीआई जांच की मांग करने की कोर्ट से अर्जी
दिल्ली में प्रवासी श्रमिकों और निर्माण कार्य से जुड़े मजदूरों के 3,200 करोड़ रुपये के फंड के गलत इस्तेमाल और सीबीआई जांच की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि कंस्ट्रक्शन वर्कर्स और प्रवासी श्रमिकों के लिए जो रकम जारी की गई थी वह उन लोगों में बांट दी गई जो दरअसल में प्रवासी मजदूर थे ही नहीं. याचिका में कहा गया है इस फंड के वितरण में बड़े स्तर पर दुरुपयोग किया गया.

दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार को इस मामले को खंड पीठ में सुनवाई के लिए भेज दिया है, जहां इस जनहित याचिका पर 16 जून को सुनवाई होगी. यह याचिका पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति संस्थान की तरफ से लगाई गई है.

सिक्योरिटी गार्ड और ड्राइवरों को बांटे पैसे

याचिका में कहा गया है कि ये फंड बोगस मजदूरों में बांटा गया. इनमें ज्यादातर सिक्योरिटी गार्ड, ओला-उबर के टैक्सी ड्राइवर, फैक्ट्री में काम करने वाले लोग, दुकानों में हेल्पर के तौर पर काम करने वाले, दर्जी, हज्जाम और घरों में काम करने वाली बाइयां शामिल हैं. दस्तावेजों में इन सभी को प्रवासी श्रमिक की तरह दिखाकर उस फंड को बांट दिया गया जिस पर सिर्फ और सिर्फ प्रवासी मजदूरों और निर्माण कार्य में लगे मजदूरों का हक था.

याचिका लगाने वाले वकील योगेश पचौरी और आर बालाजी ने अपनी याचिका में कहा है कि दिल्ली सरकार के लेबर मिनिस्ट्री के दिल्ली बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड के आधीन ये तमाम गड़बड़ियां हुई हैं. याचिका में दावा किया गया है कि इन बोगस श्रमिकों को अलग-अलग यूनियंस के माध्यम से सर्टिफाई भी कराया गया. यह तमाम यूनियंस पिछले चार-पांच साल के दौरान ही बनाई गई हैं.

सीबीआई जांच की जरूरत

जिन लोगों को प्रवासी श्रमिक बता कर यह फंड वितरित किया गया उन सभी से इन यूनियन के लोगों ने 500 से 1000 रुपये तक की अवैध रूप से वसूली भी की. याचिका में कहा गया है कि इस मुश्किल वक्त में भी प्रवासी मजदूरों को उनका हक देने के बजाय उनका पैसा उन लोगों में बांट दिया गया जो प्रवासी मजदूर नहीं थे. ऐसे में इस पूरे मामले की जांच सीबीआई या फिर किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराए जाने की जरूरत है.

शिकायत पर नहीं हुआ एक्शन

याचिकाकर्ता ने बताया कि दिल्ली के करीब 5 लाख 40 हजार मजदूरों में से 90 फीसदी का तो रजिस्ट्रेशन ही रिन्यू नहीं किया गया. इसको लेकर भारत नगर के पुलिस स्टेशन में लेबर डिपार्टमेंट के अधिकारियों की तरफ से 80 शिकायतें भी दर्ज करवाई गईं. लेकिन किसी भी शिकायत पर पुलिस की तरफ से अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.