ओमिक्रॉन से सिर्फ एंटीबॉडी नहीं करतीं बचाव, बल्कि ये चीज़ें भी रखती हैं मायने, जानें कैसे

ओमिक्रॉन के लगातार बढ़ रहे मामले (प्रतीकात्मक तस्वीर)
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ये वाई-आकार के प्रोटीन हाल में सुर्खियों में बने हुए हैं क्योंकि कहा जा रहा है कि कोविड -19 वैक्सीन उतने एंटीबॉडी का उत्पादन नहीं करते हैं जो ओमिक्रोन वेरिएंट के खिलाफ काम करने के लिए जरूरी हैं – कम से कम, बिना बूस्टर के तो नहीं. इसलिए कई देश वैक्सीन की बूस्टर डोज पर जोर दे रहे हैं. 

टीके और संक्रमण से दोनों से बने, एंटीबॉडीज स्पाइक प्रोटीन को पकड़ लेते हैं, जो कोरोनावायरस की सतह पर फैल जाता है और इसे कोशिकाओं तक फैलने से और व्यक्ति को बीमार होने से बचाता है. 

हालांकि, सिर्फ एंडीबॉडीज एकमात्र ऐसी चीज नहीं है, जो वायरस को फैलने से रोकता है. 

हार्वर्ड इम्यूनोलॉजिस्ट रोजर शापिरो बताते हैं कि “वास्तव में यह एक जटिल और समन्वित प्रतिक्रिया है.”

इस प्रक्रिया के कुछ अहम बिंदु है–

जन्मजात इम्युन सिस्टम के ‘कार्पेट बॉम्बर्स’

वायरस के सबसे पहले संक्रमित करने के मिनटों या घंटों में सिग्नलिंग प्रोटीन “जन्मजात” प्रतिरक्षा प्रणाली के कठोर घटक को वायरस से लड़ने के लिए संकेत देते हैं. सबसे पहले वायरस का सामना न्यूट्रोफिल्स (Neutrophils) से होता है, जो सफेद रक्त कोशिकाओं का एक प्रकार है. यह हमें संक्रमण से बचाता है. ये तुरंत संक्रमण से मुकाबला करने लगते हैं. हालांकि, ये नष्ट हो जाते हैं. 

इसके बाद “मैक्रोफेज” का नंबर आता है, जो रोगाणुओं को पहचानने का काम करते हैं और इसकी जानकारी अपने सहयोगियों ‘नेचुरल किलर’ सेल (यह संक्रमण को फैलने से रोकते हैं) और  ‘डेंड्रिटिक’ सेल को देते हैं जो कि संक्रमण की जानकारी को और आगे एलिट फाइटर्स को देते हैं.  

पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के इम्यूनोलॉजिस्ट जॉन व्हेरी ने कहा, “संभव है कि इस कार्पेट बॉम्बिंग की वजह से ही आप हमला करने वाले वायरस को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकें… साथ ही इसी समय ये सील यूनिट्स को तैयार करने के लिए संकेत भी देते हैं.”

बी और टी सेल्स

यदि संक्रमण को खत्म नहीं किया जा पाता है तो फिर “अडेप्टिव” इम्युन सिस्टम काम में आती है. पहले संक्रमण के कुछ दिनों में “बी सेल यानी बी कोशिकाएं” खतरे के प्रति सचेत हो जाती हैं और एंटीबॉडी को पंप करना शुरू कर देती हैं. वैक्सीनेशन भी बी सेल को तैयार होने के लिए प्रेरित करता है. 

इम्यूनोलॉजिस्ट शापिरो ने इनकी तुलना ख़ुफ़िया अधिकारियों से की, जो ख़तरों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी रखते थे. 

सबसे शक्तिशाली प्रकार के एंटीबॉडी, जिन्हें संक्रमण को “बेअसर करने” के लिए जाना जाता है, च्युइंग गम की तरह होते हैं. यह कोशिकाओं के अहम हिस्से पर चिपक जाते हैं और वायरस को प्रवेश करने से रोकते हैं. इसके अलावा कुछ और भी एंटीबॉडी हैं, जो वायरस को फैलने से रोकते हैं और उन्हें इम्युन सेल की तरफ ले जाते हैं. 

बी सेल्स के अहम पार्टनर “टी सेल्स” हैं, जिन्हें मोटे तौर पर “हेल्पर” और “किलर” में विभाजित किया जा सकता है. 

शोपिरो ने कहा,”किलर (बी सेल) हत्यारों की तरह होते हैं, जो जाते हैं और संक्रमित कोशिकाओं पर हमला कर देते हैं.” उन्होंने कहा कि हेल्पर टी सेल ‘जनरल की तरह होते हैं, जो बी सेल को अपना उत्पादन बढ़ाने और अपने घातक सहयोगियों को दुश्मन की तरफ निर्देशित करते हैं.

(इस खबर को सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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