महाराष्ट्र सरकार दवा क्षेत्र की कंपनियों को राज्य में निवेश के लिए आकर्षित करने की योजना बना रही है। राज्य ने फार्मा क्षेत्र की कंपनियों के लिए एकल खिडकी मंजूरी प्रणाली स्थापित करने का फैसला किया है। इसके जरिये उनकी शिकायतों का भी निपटान हो सकेगा।
खाद्य एवं दवा प्रशासन (एफडीए) मंत्री जयकुमार रावल ने हाल में भारतीय दवा विनिर्माण संघ के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि फार्मा कंपनियां हाल के बरसों में हिमाचल प्रदेश का रुख क्यों कर रही हैं जबकि किसी समय महाराष्ट्र उनके लिए पसंदीदा गंतव्य था।
कभी महाराष्ट्र में 3,000 फार्मा कंपनियों की विनिर्माण इकाइयां थीं। लेकिन धीरे-धीरे ज्यादातर कंपनियां हिमाचल प्रदेश की ओर स्थानांतरित हो गईं। रावल ने संवाददाताओं से कहा, ”बैठक के दौरान मैंने पाया कि इन कंपनियों को राज्य में पर्यावरण मंजूरी हासिल करने में काफी दिक्कत आ रही है। एफडीए इस मामले में फार्मा कंपनियों की मदद के लिए एकल खिड़की मंजूरी प्रणाली स्थापित करेगा।
रावल ने कहा कि हमारी नागपुर और औरंगाबाद को दवा कंपनियों का बड़ा केन्द्र बनाने की योजना है। नागपुर में इस दिशा में काम पहले ही शुरू किया जा चुका है। मंत्री ने कहा इसमें आयुर्वेदिक दवाओं के उत्पादन पर जोर होगा। ”हमारा औरंगाबाद और नासिक के बीच साथ ही मुंबई- नागपुर समृद्धि गलियारे में बड़ा औषधि केन्द्र बनाने की योजना है। इस औषधि केन्द्र में एक बड़ी विश्वस्तरीय प्रयोगशाला भी बनाई जायेगी। उन्होंने कहा, ”हम जेनरिक दवाओं के उत्पादन क्षेत्र में चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करना चाहते हैं।