उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में शिवालिक पहाड़ियों में स्थित सिद्धपीठ श्री शाकुंभरी देवी मंदिर करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। मंदिर के परिक्षेत्र में भगवान शिव के भी पांच प्राचीन मंदिर स्थित हैं। इनमें मटकेश्वर मंदिर, शाकेश्वर मंदिर, बड़केश्वर मंदिर, कमलेश्वर मंदिर एवं इन्द्रेश्वर महादेव मंदिर में पौराणिक एवं भव्य शिवलिंग भी स्थापित हैं, जिन्हें मां शाकुंभरी देवी के रक्षक के रूप में जाना जाता है। श्रावण मास में इन मंदिरों पर भी भारी मात्रा में श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं। ये मंदिर उसी काल के बताए जाते हैं, जिस कार में मां शाकुंभरी के मंदिर की स्थापना हुई थी।
शिवालिक पहाड़ियों के बीच स्थित श्री शाकुंभरी देवी के दर्शनों के बाद इन्हीं पहाड़ियों में विद्यमान इन पंचमहादेव के दर्शन करना भी अति उत्तम माना जाता है। इसलिए दर्शनों के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। खासकर श्रावण मास में दूर-दूर से आए कांवड़िये और शिवभक्त इन मंदिरों पर जलाभिषेक करते हैं। भगवान शिव का पहला मंदिर मां शाकुंभरी भवन से बायीं दिशा में कुछ दुरी पर स्थित है, जिसे मटकेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। वहीं कमलेश्वर महादेव के नाम से विख्यात दूसरा मंदिर सिद्धपीठ परिक्षेत्र में स्थित श्री शकंराचार्य आश्रम के भवन के बराबर में स्थापित है।
भगवान शिव का तीसरा एवं अद्भुत प्राचीन मंदिर शाकुंभरी भवन से कुछ दुर दायीं ओर पहाड़ियों पर स्थित है। इस मंदिर पर शाकुंभरी खोल से लगभग दो किलोमीटर पहाड़ियों के रास्ते से जाना पड़ता है। इस मंदिर पर महाज्ञानी श्री शाकुम्भर गिरी जी महाराज ने वर्षों तक भगवान शिव और मां शाकुंभरी की पूजा अर्चना की। मान्यता है कि जिस समय तीनों लोकों में असुरों का पाप बढ़ रहा था तब देवताओं ने शाकेश्वर महादेव के पास पहुंचकर असुरों से छुटकारा दिलाने की करुण प्रार्थना की थी। इस पर भगवान शाकेश्वर महादेव ने शिवा शक्ति को असुरों का वध करने के लिए शाकुंभरी का रूप प्रदान किया था और स्वयं भी अपने पंच महादेव स्वरूपों से वह माता के रक्षक बनकर क्षेत्र में पधारे थे।
भगवान शंकर का चौथा मंदिर मां न्मिममस्तिा मंदिर के पीछे की ओर स्थापित है। इस मंदिर को इन्द्रेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। मां शाकुंभरी के पांचवें रक्षक के रूप में बड़केश्वर महादेव का विशाल मंदिर मां शाकुंभरी के भवन से लगभग 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इस मंदिर पर भूरादेव मंदिर से निकल रही खोल के रास्ते बड़कला गांव के निकट जाना पड़ता है। जहां पहाड़ियों पर बड़केश्वर महादेव विराजमान हैं। मां शाकुंभरी के रक्षक के रूप में स्थापित पंच महादेव मंदिरों पर श्रावण मास में कांवड़िये और शिवभक्त भी भारी संख्या में पहुंचते हैं और जहाभिषेक करते हैं।