बाहरी दिल्ली के बापरोला की रहने वाली माही का दिल अब किसी और के सीने में धड़केगा। लंबी बीमारी के बाद आठ साल की माही को सोमवार को दिल्ली के आकाश आस्पताल में ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। परिजनों ने माही के अंगदान का फैसला लिया। परिजनों का कहना है कि माही जीवित नहीं रह सकी, लेकिन हम चाहते हैं कि उसके अंग दान कर किसी जरूरतमंद की जिंदगी बचाई जा सके। उनके इस फैसले के बाद डॉक्टरों ने राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन को इसकी सूचना दी कि एक आठ साल की बच्ची सेरेबल एडिमा से पीड़ित है और उसके परिजन अंगदान करना चाहते हैं।
संगठन की प्रमुख डॉक्टर वसंती ने बताया कि इसकी सूचना कई अस्पतालों को दे दी है। अभी किसी अस्पताल ने दिल प्रत्यारोपण करने की बात स्वीकार नहीं की है। डॉक्टर वसंती का कहना है कि अगर कुछ समय तक दिल्ली के किसी अस्पताल से मांग नहीं आती है तो वे देश के दूसरे अस्पतालों को इसके बारे में सूचित करेंगी और जहां भी दिल की जरूरत वाला मरीज होगा। वहां बच्ची के दिल को प्रत्यारोपित कर दिया जाएगा।
माही के दादा बलराज ने बताया कि वह नजफगढ़ के एक स्कूल में कक्षा चार में पढ़ती है। उन्होंने बताया कि दो सप्ताह पहले बच्ची को हेपेटाइटिस होने की बात सामने आई थी। इसके बाद उसे पास के निजी अस्पताल ले गए, लेकिन उसकी तबीयत में कोई सुधार नहीं आया। इसके बाद वे उसे आकाश अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने सोमवार को दोपहर 2 बजे बताया कि बच्ची ब्रेन डेड हो चुकी है। बलराज के मुताबिक माही का बड़ा भाई भी बीमार चल रहा है। उसके पिता प्रवीण और मां सुमन ने बच्ची के दिल को दान करने का फैसला किया।
लंबे समय तक जीवित रह सकता है दिल
एम्स के हृदयरोग विशेषज्ञ प्रोफेसर ए.के विशोई ने बताया कि अगर डॉक्टर बच्ची के ब्लडप्रेशर को नियंत्रित रखें तो ब्रेन डेड होने के कई दिन बाद तक दिल को सुरक्षित रखा जा सकता है।
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