मुंबई : राज्य में कोरोना जाँच के लिए ५२ हजार सैंपल भेजे गए हैं। इनमें से अब तक ४८ हजार १९८ कोरोना टेस्ट सैंपल नेगेटिव आ चुके हैं और २९१६ पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें लगभग ६० से ७० प्रतिशत लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं दिया है, २५ प्रतिशत लोगों में हल्के स्वरूप के लक्षण पाए गये हैं, और 5 प्रतिशत से कम रोगियों की स्थिति गंभीर है।
ऐसा होने के बावजूद कोरोना रोग से ग्रसित मरीजों के ठीक होकर घर जाने के लिए छोड़े जाने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। अब तक, मरीजों के सकारात्मक सहयोग, स्वास्थ्य यंत्रणा के परिश्रम के चलते अब तक कोरोना प्रभावित रोगियों में से लगभग २९५ रोगी ठीक हो गए हैं। ठीक हो गये मरीजों को अस्पताल से घर के लिए छोड़ते समय जगह-जगह पर ताली बजाकर विदाई दी जाती है और समाज में भी उन रोगियों का स्वागत किया जा रहा है।
मंगलवार को फ़़ेसबुक लाइव के माध्यम से राज्य की जनता से बात करते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य में कोरोना रोगियों के ठीक होने की संख्या दर में वृद्धि होने की बात करते हुए कोरोना के विरुद्ध युद्ध के विजेताओं में ६ महीने की बच्ची से लेकर ८३ वर्षीय दादी माँ के शामिल होने का उल्लेख किया था। कोरोना को हराने वाले ६ महीने की कल्याण की बच्ची की मां से मुख्यमंत्री ने बातचीत की और उन्हें बधाई दी।
9 मार्च को राज्य में पहले दो कोरोना रोगी पाये गए थे। पुणे के ये दम्पति १४ दिन के सफल उपचार के बाद २३ मार्च को अपने घर लौट गये। राज्य के पहले कोरोना मुक्त रोगियों के रूप में उनका उल्लेख किया जाना चाहिए। उसके बाद कोरोना रोगियों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ कोरोना से ठीक होने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य यंत्रणा कठोर परिश्रम कर रही है।
जिन मरीजों को ठीक होने के बाद घर के लिए छोड़ दिया गया है उनमें मुंबई से १६६, ठाणे मनपा ६ , ठाणे ग्रामीण ३, कल्याण डोंबिवली १४, मीरा भयंदर २, नवी मुंबई ९, पनवेल ३, उल्हासनगर १, वसई विरार २, नागपुर ११, पुणे महापालिका परिसर २७, पिंपरी चिंचवाड़ १२ , पुणे ग्रामीण ४, अहमदनगर ग्रामीण १, अहमदनगर नगर महापालिका क्षेत्र २, नाशिक ग्रामीण १, रत्नागिरी १, सिंधुदुर्ग १, सांगली २५, सतारा १, यवतमाल ३ और गोंदिया १ इस प्रकार कुल २९५ मरीजों का समावेश होने की बात स्वास्थ्य मंत्री ने कही।
सरकारी स्वास्थ्य यंत्रणा के माध्यम से कोरोना मरीजों के ठीक होने के बाद घर जाते समय उनके चेहरों पर युद्ध में जीतने की भावना दिखाई देती है और जगह-जगह पर स्वास्थ्य कर्मचारी और प्रशासकीय अधिकारी इन रोगियों को तालियाँ बजाकर घर जाने के लिए विदा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। जब छह महीने के बच्चे को अस्पताल से कल्याण स्थित घर पर लाया गया, तो उसका स्वागत पूरी सोसायटी के सदस्यों द्वारा गैलरी में खड़े होकर ताली बजाकर किया गया। ऐसा किये जाने से समाज में एक सकारात्मक संदेश जाता है और इससे स्वास्थ्य सेवा में लगे कर्मचारियों तथा कोरोना प्रभावित रोगियों और उनके परिवारों को मनोवैज्ञानिक बल और ढांढस प्राप्त होता है