यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के आखिरी चरण यानी इंटरव्यू (पर्सनैलिटी टेस्ट) में सबसे अहम भूमिका आपके डिटेल्ड एप्लीकेशन फॉर्म (डीएएफ) की ही होती है। आपका डीएएफ आपके बारे में बहुत कुछ बता देता है। इंटरव्यू से पहले सभी उम्मीदवारों से यह भरवाया जाता है। इसमें आपके ऐकेडमिक, पर्सनल बैकग्राउंड, आपकी पसंद, नापसंद, हॉबी और ऑवरऑल पर्सनैलिटी सबकी जानकारी होती है। इंटरव्यू के दौरान इसकी एक कॉपी सभी पैनलिस्ट (जो इंटरव्यू ले रहे हैं) के पास भी होती है। इंटरव्यू में अधिकांश सवाल आपके द्वारा डीएएफ में दी गई जानकारी से ही पूछे जाते हैं। यहां हम आपको यूपीएससी इंटरव्यू के दौरान हुआ एक दिलचस्प किस्सा बता रहे हैं। ये इंटरव्यू था 2005 बैच के महाराष्ट्र कैडर से आईपीएस बने मनोज कुमार शर्मा का जो मुंबई में एडिशनल कमिश्रनर ऑफ वेस्ट रीजन के पद पर तैनात हैं।
मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में जौरा तहसील के बिलगांव गांव में जन्मे मनोज 12वीं तक पढ़ाई में मामूली छात्र रहे। एक वीडियो इंटरव्यू के जरिए उन्होंने बताया, उनका प्लान 12वीं में जैसे-तैसे पास होकर, टाइपिंग सीखकर कहीं न कहीं जॉब ढूंढने का था। उन्होंने 12वीं की परीक्षा में नकल करने का भी पूरा प्लान बना रखा था। लेकिन एसडीएम ने स्कूल में सख्ती की और नकल नहीं होने दी। और नतीजतन मैं 12वीं में फेल हो गया। द लल्लनटॉप को दिए इंटरव्यू में आईपीएस मनोज ने बताया कि ”वो मेरा चौथा और आखिरी अटेंप्ट था। ये मेरा यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा का पहला इंटरव्यू था। जिस तरह से मेरी बात शुरू हुई तो उन्हें (यूपीएससी इंटरव्यू बोर्ड सदस्य) समझ में आ गया कि ये लड़का इंग्लिश में कमजोर है। मेरा डीएएफ (डिटेल्ड इंफोर्मेशन फॉर्म) देखकर उन्होंने मेरे एक साल के गैप को लेकर सवाल पूछ लिया। मैंने सच बताया। मैंने कहा कि मैं फेल हो गया था। उत्तर देने से मेरे दिमाग ये बात जरूरी आई थी कि मैं बोल दूं कि घर में कोई बीमार हो गया था या फिर कोई न कोई बहाना मार दूं। लेकिन फिर मैंने सोचा कि सच बोलूं, जो होगा देखा जाएगा।
‘फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि आपको इंग्लिश नहीं आती तो आप कैसे प्रशासन चलाएंगे। तभी एक मेंबर ने बोला कि आप पानी पी लीजिए। मैंने बोला कि मैं ये पानी नहीं पीऊंगा। ये पानी कांच के गिलास में है। मैं स्टील के गिलास में पानी पीता हूं। इंटरव्यू बोर्ड के अध्यक्ष थोड़े नाराज हो गए और बोले ये क्या बकवास है, कांच के गिलास में पानी होने से आप पानी नहीं पीएंगे। मैंने उत्तर दिया कि सर मैं यही तो बोल रहा हूं कि पानी महत्वपूर्ण है या गिलास महत्वपूर्ण है। तो उनका समझ में आया कि मैं क्या कहना चाहता हूं।’
इस तरह से मनोज यह बताने में सफल हुए कि भाषा महत्वपूर्ण नहीं है, काम महत्वपूर्ण है।
12वीं फेल का ठप्पा प्यार में दिक्कत
12वीं फेल का ठप्पा मनोज का पीछा नहीं छोड़ता था। जिस लड़की से प्यार किया, उससे भी दिल की बात नहीं कह पा रहे थे। डर था कि वो कह न दे 12वीं फेल हो। इसलिए फिर से पढ़ाई शुरू की। दिल्ली के नेहरु विहार आकर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की।
मनोज शर्मा पर अनुराग पाठक ‘12th फेल, हारा वही जो लड़ा नहीं’ शीर्षक से किताब लिख चुके है। अनुराग ने एक इंटरव्यू में कहा, इनकी कहानी लिखने के पीछे बच्चों को प्रेरित करने का उद्देश्य है।