बिजनेस डेस्कः अगर किसी दुकानदार या निर्माता के सामान में खराबी पाई जाती है तो उसे जेल हो सकती है। यहां तक कि उसे भारी जुर्माना भी देना पड़ सकता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 में बदलाव को मंजूरी दे दी है। इस संशोधित बिल में ग्राहकों को खराब समान की बिक्री करने पर 5 साल जेल और 50 करोड़ रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।साथ ही ग्राहक को प्रोडक्ट के रिकॉल और रिफंड करने का सख्त प्रावधान किया गया है। यह बिल 33 साल पुराने 1986 के कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट की जगह लेगा।
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बनेगी सेंट्रल अथॉरिटी
कंज्यूमर प्रोटक्शन बिल के तहत ग्राहकों के हित में काम करने के लिए एक सेंट्रल अथॉरिटी बनाई जाएगी। इसकी राज्य और जिला स्तर पर शाखाएं होंगीं, जो ग्राहकों की शिकायतों को सुनेंगी। भ्रामक विज्ञापन या किसी अन्य तरह से ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी करने पर अथॉरिटी के पास मुआवजा तय करने का अधिकार होगा। साथ ही सारे प्रोडक्ट को वापस लेने और पैसा वापस करने का फरमान भी जारी कर सकती है।
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कंपनियों की तय होगी जवाबदेही
नए बिल में ई-कॉमर्स कंपनियों की जवाबदेही तय की जाएगी। अभी तक कंपनियां जिम्मेदारी लेने से बचती थी लेकिन नए बिल में साफ किया गया है कि किसी खराब सामान या सर्विस पर निर्माता या सेवा देने वाले की जिम्मेदारी सिर्फ प्रभावित ग्राहक तक नहीं होगी, बल्कि उस सेवा से जुड़े सभी उपभोक्ताओं तक होगी।
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